High Court Decision Update 2024: पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी का कौन होगा मलिक, हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला जाने संपूर्ण जानकारी
High Court Decision Update 2024
हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सभी का स्वागत है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हाईकोर्ट के द्वारा 2024 की सुना गए लेटेस्ट अपडेट के बारे में बताएंगे। दोस्तों आपको बता दे की भर्ती कानून के मुताबिक पति के जीवित रहते हैं उसकी खुद से अर्जित की गई संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता है पति की मृत्यु के बाद ही पति की संपत्ति पर पत्नी का हक होता है लेकिन मरने से पहले अगर पति कोई वसीयत लिखी होगी तो उसके ही आधार पर प्रॉपर्टी का अधिकार तय किया जाता है अगर वसीयत में पत्नी का नाम नहीं होगा तो उस संपत्ति पर पत्नी का कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। तो दोस्तों अब यह सवाल उठता है की पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पर आखिर में किसका अधिकार होगा। यह प्रश्न आप लोगों के मन में भी उठना होगा तो दोस्तों इस प्रश्न के हाल के लिए हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम इस फैसले से संबंधित संपूर्ण जानकारी के बारे में बताएंगे।
High Court Decision Update 2024- Overview
Name Of Article | High Court Decision Update 2024 |
Type Of The Article | पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी का कौन होगा मलिक हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला |
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HR Breaking New Digital Desk
हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि कोई व्यक्ति अपने आय को अर्जित कर किसी ओर के नाम पर प्रॉपर्टी लिखवा सकती है वह लिखवाई गई प्रॉपर्टी उस व्यक्ति के नाम होगी जिसके आय से खरीदी गई है ना कि जिसके नाम पर वह प्रॉपर्टी है।
जासिस्ट वाल्मीकि जे. मेहता की बेंच ने एक व्यक्ति के द्वारा की गई अपिल को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की और ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को का दो संपत्तियों पर अधिकार छीन लिया गया था, जो उसने अपनी पत्नी के नाम पर खरीदा था।
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इस व्यक्ति कोर्ट से की मांग थी उसे इन दो संपतियों का मालिकाना हक दिया जाए, जो उसे अपनी आय के ज्ञात सत्रों से खरीदी। इनमे से एक न्यू मोती नगर और दूसरी गुडगांव के सेक्टर –56में बताई गई हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन दो संपतियों का असली मालिक वो है, ना की उनकी पत्नी जिसके नाम पर उसने ये दोनों प्रोपर्टी खरीदी हैं। लेकिन ट्रायल कार्ट ने बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट ,1988 के उस प्रावधान के आधार पर याचिकाकर्ता के इस अधिकार को जब्त कर लिया, जिसके तहत प्रॉपर्टी रिकवर करने के अधिकार पर प्रतिबंध हैं।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के संबंधित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि निचली अदालत ने इस व्यक्ति की याचिका को शुरुआत में ही ठुकरा कर गलती की हैं। क्योंकी संबंधित आदेश जब पारित किया गया तब प्रोहिबिशन आफ बेनाम प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन एक्ट, 1988संशोधन के साथ लागू था।
High court ने कहा कि इस संशोधित कानून में साफ तौर पर बताया गया है कि बेनामी ट्रांजैक्शन क्या है और ऐसे कोन से लेन देन है जो बेनामी नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में प्रॉपर्टी का पत्नी के नाम पर होना इस कानून के तहत दिए गए अपवाद में आता है। क्योंकि एक व्यक्ति को कानूनन इस बात की इजाजत है की वो आपने आय के स्रोतों से अपने स्पायज के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके और जिन परिस्थितियों में यहां संपत्ति खरीदी गई, इससे खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी नहीं हैं, बल्कि मालिक यानी पति यानी याचिकाकर्ता की है, पत्नी की नहीं जिसके नाम पर वह संपत्ति खरीदी गई । लिहाजा, ट्रायल कोर्ट का संबंधित आदेश अवैध है।
इस मामले को दोबारा से विचार के लिए ट्रायल कोर्ट के पास भिजवाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को संशोधित कानून के अनुसार छूट मिलने का अधिकार है या नहीं, यह तथ्यों की जांच का मुद्दा है जो ट्रायल से ही तय होगा। ऐसे केस को शुरुआत में ही खारिज नहीं कर सकते ।
हाईकोर्ट ने बताया नैतिक फर्ज
कोर्ट ने कहा कि पति के पास उस घर पर कानूनी अधिकार है और उसे इससे बेदखल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा, ‘इसके अलावा उसका ये नैतिक फर्ज है कि वो अपनी पत्नी औ बेटियों के साथ घर में रहे ताकि उनकी देखभाल कर सके।’महिला और उसकी बेटियां अलग रहती हैं। हालाकि, कोर्ट ने शख्स को आदेश दिया की उसे पत्नी को खर्च के तौर पर 17 हजार रूपये हर महीने देने होंगे। मेंटीनेंस का भुगतान अगस्त से होगा जब महिला ने पहली बार कोर्ट का रुख किया था।
बहु का ससुराल की संपत्ति में कितना अधिकार
अक्सर लोगों का एक सवाल और रहता है कि कि क्या सास ससुर की प्रॉपर्टी में बहु का भी हक होता है? आइए जानते हैं कि इसके बारे मे… माता –पिता द्वारा स्व –अर्जित संपत्ति पर उनके बेटों का अधिकार होता है। वे माता –पिता द्वारा स्व–अर्जित प्रॉपर्टी पर अपने अधिकार का दावा कर सकते हैं। वहीं बहु सास –ससुर द्वारा अर्जित संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती है। बहु का इसमें कोई हक नहीं होता है। वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पति की पैतृक संपत्ति पर बहुओं का अधिकार 2 तरह से हो सकता है। अगर पति संपत्ति का अधिकार बहु को ट्रांसफर करता है। इस स्थिति में बहु का अधिकार प्रॉपर्टी पर हो सकता है।
वहीं इसके अलावा पति के निधन पर बहु का अधिकार संपत्ति पर हो सकता है। शादी होने के बाद बेटी दूसरे परिवार में बहु के रूप में जाती है। हालांकि, ससुराल की प्रॉपर्टी पर उसका पूरा हक नहीं होता है। वही पिता की संपत्ति पर उसका पूरा हक होता है। आपको ये भी पता होना चाहिए कि पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बीच ट्रांसफर होने वाली संपत्ति पैतृक संपत्ति की श्रेणी में आती है। वहीं बंटवारा होने के बाद पैतृक संपत्ति स्व –अर्जित संपत्ति में कनवर्ट हो जाती है।
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